बाल एवं युवा साहित्य >> दुनिया के आश्चर्य दुनिया के आश्चर्यधर्मपाल शास्त्री
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इसमें दुनिया के आश्चर्य का वर्णन किया गया है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
संगमरमर में कविता
ताजमहल
आगरा का ताजमहल सम्राट् शाहजहाँ और उनकी साम्राज्ञी मुमताजमहल के
अमर-प्रेम की अजर निशानी है। शाहजहाँ का बचपन का नाम राजकुमार खुर्रम और
मुमताजमहल का बानो बेगन था।
एक बार जब राजकुमार खुर्रम खुशरोज़ के मेले से लौटे तो उनकी आँखों में चमक और कपोलों पर लालिमा थी, पर पलके कुछ झुकी-झुकी-सी। बगल में दबाए हुए चार-छः सुनहरी डिब्बे उनकी प्रसन्नता की गवाही दे रहे थे। जहांगीर ने एक ओर वह खरीद और दूसरी ओर बेटे की इस खिली मुद्रा को देखा तो प्रसन्न होकर बोले- ‘‘शाबाश खुर्रम ! लगता है अब मेरा बेटा राजकुमारो का-सा सलीका सीखता जा रहा है।
लाओ तो मैं भी देखूँ। कि तुम्हारी पहली पसन्द कितनी खूबसूरत है।’’
खुर्रम ने अंग में अंग चुराते हुए अपनी खरीद के वे डिब्बे चुपचाप पिता की ओर बढ़ा दिया। जहाँगीर ने समझा था होंगे कोई खेल-खिलौने, पर जब ढक्कन उठाकर देखा तो मखमल में लिपटे हुए चमचम करते सलौने आभूषण झाँक उठे- इसमें मोतियों का हार, उसमें हीरे की अगूँठी, किसी में चांदी के झुमके और किसी में कलाइयों के कंगन। जहाँगीर ने मीठी हँसी हँसते हुए पूछा किस गुड़िया के लिए है ये आभूषण ?’’
एक बार जब राजकुमार खुर्रम खुशरोज़ के मेले से लौटे तो उनकी आँखों में चमक और कपोलों पर लालिमा थी, पर पलके कुछ झुकी-झुकी-सी। बगल में दबाए हुए चार-छः सुनहरी डिब्बे उनकी प्रसन्नता की गवाही दे रहे थे। जहांगीर ने एक ओर वह खरीद और दूसरी ओर बेटे की इस खिली मुद्रा को देखा तो प्रसन्न होकर बोले- ‘‘शाबाश खुर्रम ! लगता है अब मेरा बेटा राजकुमारो का-सा सलीका सीखता जा रहा है।
लाओ तो मैं भी देखूँ। कि तुम्हारी पहली पसन्द कितनी खूबसूरत है।’’
खुर्रम ने अंग में अंग चुराते हुए अपनी खरीद के वे डिब्बे चुपचाप पिता की ओर बढ़ा दिया। जहाँगीर ने समझा था होंगे कोई खेल-खिलौने, पर जब ढक्कन उठाकर देखा तो मखमल में लिपटे हुए चमचम करते सलौने आभूषण झाँक उठे- इसमें मोतियों का हार, उसमें हीरे की अगूँठी, किसी में चांदी के झुमके और किसी में कलाइयों के कंगन। जहाँगीर ने मीठी हँसी हँसते हुए पूछा किस गुड़िया के लिए है ये आभूषण ?’’
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